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Himachal Pradesh | कला साहित्य और संस्कृति : भाषा और साहित्य

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हिमाचल प्रदेश | कला साहित्य और संस्कृति : भाषा और साहित्य

भाषा - प्रसिद्ध अंग्रेज विद्वान डॉ. जी. ए. गियर्सन ने भारतीय भाषाओं का सर्वेक्षण करते समय हिमाचली भाषाओं का पश्चिमी पहाड़ी भाषाओं के रूप में सर्वेक्षण किया | पहाड़ी भाषा का स्त्रोत शोरसैनी अपभ्रंश है | पहाड़ी भाषा की लिपि टांकरी है | बनियों में अभी भी हिसाब लिखने के लिए टांकरी लिपि का प्रयोग होता है |

चम्बा - चम्बा जिले में चम्बयाली बोली, बोली जाती है | इस जिले में स्थानीय बोलियाँ भटियाती, चुराही, पंगवाली तथा भरमौरी हैं, जो क्रमश: भटियात, चुराह, पांगी और भरमौर में बोली जाती है |

मण्डी - मण्डी जिले में सुकेती, मण्डयाली, बालड़ी तथा सरकाघाटी स्थानीय बोलियाँ बोली जाती हैं, जो क्रमश: सुंदरनगर, मण्डी, बल्ह तथा सरकाघाट क्षेत्रों में बोली जाती है |

कुल्लू - कुल्लू जिले में कुल्लवी भाषा बोली जाती है | स्थानीय बोलियाँ सीराजी तथा सैंजी हैं | मालवा गाँव की अपनी बोली है जो बाहरी क्षेत्रों से भिन्न है |

बिलासपुर - बिलासपुर जिले में मुख्यत: कहलूरी बोली का प्रचलन है | इसे बिलासपुरी भी कहते हैं |

काँगड़ा - काँगड़ा जिले में काँगड़ी बोली, बोली जाती है | पालमपुरी, शिवालिक यहाँ की स्थानीय बोलियाँ है |

ऊना-हमीरपुर - इन 2 जिलों में काँगड़ी का प्रचलन है |

सिरमौर - सिरमौर जिले में सिरमौरी बोली, बोली जाती है | इसकी प्रमुख स्थानीय बोलियाँ धारटी तथा बिशवाई है |

सोलन - सोलन में महासुवी उपभाषा बोली जाती है | यहाँ की स्थानीय बोलियाँ हांडूरी, भगाटी तथा क्योंथली है |

किन्नौर - किन्नौर में किन्नौरी बोली जाती है | इसकी प्रमुख बोलियाँ छितकुली, सुनामी, होमस्कंद, संगनूर, शुम्को हैं |

लाहौल-स्पीति - लाहौल में लाहौली बोली जाती है, जबकि स्पीति में तिब्बती बोली जाती है | गेहरी, चागसा, गारा, रंगलोई, मनचाटी यहाँ की उपबोलियाँ है | हिमाचल में 88.77% लोग हिन्दी (पहाड़ी); 5.83% लोग पंजाबी बोलते हैं |

साहित्य एवं पुरस्कार -

पहला पहाड़ी कविता पुरस्कार 1983 में डॉ. बिरयाम सिंह को दिया गया | पहला चन्द्रधर शर्मा गुलेरी पुरस्कार 1986 में हिन्दी साहित्य के लिए श्री केशव को दिया गया | पहला वाई. एस. परमार पुरस्कार 1986 में उत्कृष्ट हिमाचली सांस्कृतिक साहित्य के लिए मियाँ गोवर्धन सिंह को दिया गया | पहला पहाड़ी गांधी बाबा कांशीराम पुरस्कार 1989 ई. को उत्कृष्ट पहाड़ी साहित्य के लिए जयदेव किरण को दिया गया | पहला पहाड़ी शिखर सम्मान 1994 ई. में भवानी दत्त शर्मा को पहाड़ी भाषा, कला, साहित्य के लिए दिया गया | हिमाचल प्रदेश के नेशनल टीचर पुरस्कार पाने वाले पहले शिक्षक प्रकाश चंद थे, जिन्होंने 1958 में यह सम्मान पाया | वे राजकीय वरिष्ठ (छात्र) विद्यालय शिमला के प्रधानाचार्य थे | हिमाचल प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ खेल पुरस्कार परशुराम पुरस्कार है | सबसे पहला परशुराम पुरस्कार सुंदरनगर की एथलीट सुमन रावत को मिला, उन्हें यह पुरस्कार 1987 ई. में दिया गया |

पुस्तकें -

क्र.सं.पुस्तक का नामलेखक
1.हिमाचल अतीत, वर्तमान और भविष्य - एक झलकदेवराज शर्मा
2.हिमाचल प्रदेश परिचयदेवराज शर्मा
3.किन्नर देशराहुल सांस्कृत्यायन
4.किन्नर लोक साहित्यबंशीराम शर्मा
5.हिस्ट्री ऑफ़ पंजाब हिल स्टेटजे. हचिसन एवं वोगल
6.हिस्ट्री ऑफ़ मण्डीविक्रम कायस्थ
7.हिस्ट्री ऑफ़ मण्डी स्टेटमनमोहन सिंह
8.काँगड़ा पेंटिंगएम. एस. रन्धावा
9.हिमालयन आर्टजे. सी. फ्रैंक
10.एस. टी. ऑफ़ हिमाचल प्रदेशटी. एस. नेगी
11.तारीख-ए-रियासत सिरमौररंजौर सिंह
12.धरती है बलिदान कीशांता कुमार
13.पहाड़ बेगाने नहीं होंगेशांता कुमार
14.कंट्री लाइफनोहरा रिचडर्स
15.कुल्लूत देश की कहानीलाल चंद्र प्रार्थी
16.प्राचीन हिमाचलएल. पी. पाण्डे
17.द वंडरलैण्ड हिमाचल प्रदेशजगमोहन भलोखरा
18.त्रिगर्तविनोद हिमाचली
19.राजनीति की शतरंजशांता कुमार
20.हिमालयन पेंटिंगबी. एन. दात्तर

हिमाचल प्रदेश में चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती 7 जुलाई को, पहाड़ी दिवस 1 नवम्बर को, ,यशपाल जयंती 3 दिसम्बर को, लालचंद्र प्रार्थी जयंती 3 अप्रैल को, पहाड़ी गांधी बाबा कांशीराम जयंती 11 जुलाई को, डॉ. वाई. एस. परमार जयंती 4 अगस्त को, प्रतिवर्ष मनाई जाती है | हिमाचल प्रदेश कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की स्थापना 1968 ई. में और उद्घाटन 2 अक्टूबर, 1972 ई. को हुआ | हिमाचल प्रदेश में यशपाल साहित्य प्रतिष्ठान नादौन में है जिसकी स्थापना 1995 ई. में हुई | महात्मा गांधी ने धामी रियासत के ऊपर धामी पाठ पुस्तक लिखी है।

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