1. जिले के रूप में गठन -1 नवम्बर, 1966
2. जिला मुख्यालय - धर्मशाला
3. जनघनत्व - 263 (2011 में)
4. साक्षरता - 86.49 % (2011 में)
5. कुल क्षेत्रफल - 5739 वर्ग किमी.
6. जनसंख्या - 15,07,223 (2011 में)
7. लिंगानुपात - 1013 (2011 में)
8. दशकीय वृद्धि दर - 12.56%; (2001-2011)
9. प्रदेश में जनसंख्या का योगदान - 21.98% (2011 में)
10. कुल गाँव - 3868 (आबाद गाँव 3619)
11. ग्राम पंचायतें - 760
12. विकास खण्ड - 15
13. ग्रामीण जनसंख्या - 14,20,864 (94.28%, 2011 में)
14. शिशु लिंगानुपात - 873 (2011 में)
(i) भूगोल -
1. भौगोलिक स्थिति - कांगड़ा जिला हिमाचल प्रदेश के उत्तर-पश्चिम में स्थित है | काँगड़ा के दक्षिण में ऊना, हमीरपुर और मण्डी जिलें स्थित है | इसके पूर्व में कुल्लू और लाहौल-स्पीती, उत्तर में चम्बा तथा पश्चिम में पंजाब राज्य की सीमाएं लगती हैं |
2. पर्वत श्रृंखलाएं - धौलाधार पर्वत श्रृंखला कुल्लू से होते हुए भंगाल क्षेत्र को पार करके काँगड़ा जिले में प्रवेश करती है | यह चम्बा के हाथिधार के समांतर चलती हैं |
3. नदियाँ - व्यास नदी रोहतांग से निकल कर कुल्लू, मण्डी के बाद पालमपुर तहसील के संघोल से काँगड़ा में प्रवेश करती है | व्यास नदी नदौन से होते हुए मिरथल के पास काँगड़ा को छोड़कर पंजाब में प्रवेश करती है | देहर और चक्की खड्ड काँगड़ा और पंजाब की सीमा बनाते हैं |
4. झीलें - काँगड़ा में डल, करेरी (प्राकृतिक) एवं पोंग (कृत्रिम) झीलें स्थित है |
(ii) परियोजना -
1. पौंगजल विद्युत परियोजना व्यास नदी पर - 396 मेगावाट
2. गज जल विद्युत परियोजना (शाहपुर) -10 मेगावाट
3. बनेर जल विद्युत परियोजना - 12 मेगावाट
(iii) धार्मिक स्थान एवं मंदिर -
1. ज्वालामुखी मंदिर - अकबर ने इस मंदिर पर सोने का छत्र चढ़ाया था और फिरोज शाह तुगलक यहाँ से 1300 पुस्तकें फ़ारसी में अनुवाद के लिए ले गया था |
2. ब्रजेश्वरी मंदिर - इस मंदिर को महमूद गजनवी ने लूटा था |
काँगड़ा के मसरूर रॉक कट मंदिर को हिमाचल प्रदेश का अजंता कहते हैं | बैजनाथ में शिव मंदिर, नूरपुर में गंगा मंदिर, चामुंडा मंदिर आदि सभी काँगड़ा जिलें में हैं |
(iv) शिक्षा और स्थान - काँगड़ा के धर्मशाला में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है | इसका एक भाग देहरा में भी है |
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड -धर्मशाला
धर्मशाला - धर्मशाला में डल झील और हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड का मुख्यालय है | यह बौध धर्म गुरु दलाईलामा का निवास स्थान है | धर्मशाला 'छोटा तिब्बत' या 'छोटा लिहासा' के नाम से भी जाना जाता है | धर्मशाला में 1863 ई. में सेंट जोंस चर्च के पास लॉर्ड एल्गिन को दफनाया गया था | वार मेमोरियल (युद्ध स्मारक) धर्मशाला में है | धर्मशाला में प्रतिवर्ष 340 सेमी. वर्षा होती है | तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय भी धर्मशाला में है | धर्मशाला का निर्माण 1846 ई. में लॉर्ड मैकलोड ने किया था | धर्मशाला में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थित है |
विश्वविद्यालय - पालमपुर में कृषि विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना 1978 ई. में की गई थी |
आयुर्वेदिक कॉलेज-पपरौला में आयुर्वेदिक कॉलेज है, जिसकी स्थापना 1978 ई. में की गई थी | पपरौला में नवोदय स्कूल भी है |
स्थान - काँगड़ा के अन्द्रेटा में शोभा सिंह आर्ट गैलरी है |
किताबें - एम.एस.रंधावा ने काँगड़ा पेंटिंग और जे.सी.फ्रेंच ने संसारचंद ऑफ़ कांगड़ा किताब लिखी |
(v) जननांकीय आँकड़े - काँगड़ा की जनसंख्या 1901 ई. में 4,78,364 थी जो 1951 से बढ़कर 5,70,643 हो गई | वर्ष 1971 में काँगड़ा की जनसंख्या 8,00,863 जो वर्ष 2011 में बढ़कर 15,07,223 हो गई | काँगड़ा जिले का जनघनत्व 2011 में 263 हो गया है | काँगड़ा जिले में सर्वाधिक 15 विधानसभा क्षेत्र हैं | काँगड़ा जिले में कुल 3868 गाँव हैं जिनमें से 3619 गाँव आबाद गाँव हैं | काँगड़ा जिले में 760 पंचायतें हैं (2011 तक) | काँगड़ा जिले की जनसंख्या 2011 में 94.28% ग्रामीण और 5.72% शहरी थी |
(vi) काँगड़ा का स्थान - काँगड़ा जिले का क्षेत्रफल 5739 वर्ग किमी. है और यह हिमाचल प्रदेश के जिलों में चौथा सबसे बड़ा जिला है | काँगड़ा जिले की जनसंख्या 12 जिलों में सर्वाधिक है | काँगड़ा जिला 2011 में जनघनत्व में पांचवें स्थान पर है | काँगड़ा जिला दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर (12.56%) में सातवें स्थान पर था | काँगड़ा जिले का लिंगानुपात 2011 में हमीरपुर के बाद सर्वाधीक (दूसरा स्थान) है | काँगड़ा जिला 2011 में शिशु लिंगानुपात के मामले में पिछड़कर 11वें स्थान पर चला गया | वह ऊना के बाद 873 शिशु लिंगानुपात के साथ 11वें स्थान पर है | साक्षरता में काँगड़ा जिला 2011 में तीसरे स्थान पर है | किन्नौर और लाहौल-स्पीती के बाद सबसे अधिक ग्रामीण जनसंख्या काँगड़ा जिले में है | काँगड़ा जिले का 35.92% भाग वनाच्छादित है | वह इस मामले में छठे स्थान पर है | जबकि वनाच्छादित क्षेत्रफल (2062 वर्ग किमी.) के मामले में काँगड़ा जिला तीसरे स्थान पर है | काँगड़ा जिले के केवल 3% भाग में चरागाह है | काँगड़ा जिले में सर्वाधिक भैंसे पाई जाती हैं | काँगड़ा जिले में सर्वाधिक लघु उद्योग (8761) है | काँगड़ा जिले में सर्वाधिक (5602 किमी.) सड़कों की लम्बाई है | काँगड़ा जिले में (2011-12 में) सर्वाधिक कटहल, आँवला, लौकाठ, अमरुद, लीची, आम, नींबू, माल्टा और संतरे का उत्पादन होता है | आडू, प्लम, गलगल, अनार के उत्पादन में काँगड़ा दूसरे स्थान पर है |