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Himachal Pradesh | अर्थव्यवस्था : पशुपालन

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हिमाचल प्रदेश | अर्थव्यवस्था : पशुपालन

वर्ष 2011-12 में 11.20 लाख टन दूध, 1648 टन ऊन, 105 मिलियन (10.5 करोड़) अण्डे, 3966 टन मांस का उत्पादन हुआ | वर्ष 2013 तक हिमाचल प्रदेश में 1 राज्य स्तरीय पशु-चिकित्सालय, 7 पोलिक्लीनिक, 49 उप-मण्डलीय पशु चिकित्सालय, 282 पशु चिकित्सालय, 30 केंद्रीय पशु औषधालय, 6 पशु निरिक्षण चौकिया तथा 1762 पशु औषधालय थे |

हिमाचल प्रदेश में कुल पशुधन 52 लाख हैं जिसमें 22.64 लाख गाय-बैल (43.50%) 12.40 लाख बकरी (23.86%) 9 लाख भेड़े (17.30%) और 7.60 लाख भैंसें (14.6%) है | मण्डी जिले में सर्वाधिक पशुधन (9,41,489) है | मण्डी जिले में सर्वाधिक गाय-बैलकाँगड़ा जिले में सर्वाधिक भैंसेंलाहौल-स्पीति जिले में सर्वाधिक याकचम्बा जिले में सर्वाधिक भेंड़े, बकरियाँ और खच्चर पाए जाते है | हिमाचल प्रदेश में 8 मुर्गियाँ और 2.10 लाख कुत्ते पाए जाते है जिनकी सर्वाधिक संख्या काँगड़ा जिले में है | कुल्लू जिले में सर्वाधिक खरगोश पाए जाते हैं |

1. भेड़ पालन - हिमाचल प्रदेश में भेड़ व ऊन विकास हेतु सरकारी भेड़ प्रजनन फार्म ज्यूरी (शिमला), सरोल (चम्बा), ताल (हमीरपुर) और कड़छम (किन्नौर) में स्थित है | वर्ष 2011-12 में 1639 मीट्रिक टन ऊन का उत्पादन हुआ | सर्वाधिक ऊन का उत्पादन चम्बा जिले (444.8 मीट्रिक तक) में हुआ जो कि कुल उत्पादन का 27% था | चम्बा जिले में 375 हजार हेक्टेयर चरागाह है जो कि प्रदेश में सर्वाधिक है | 2007-08 में केंद्रीय योजना "भेड़पालक बीमा योजना" को शुरू किया गया | नाबार्ड द्वारा भेड़पालक समृद्धि योजना चलाई जा रही है |

2. खरगोश पालन - कन्दवाड़ी (काँगड़ा) और नांगवाई (मण्डी) में अंगोरा खरगोश के प्रजनन फार्म खोले गए हैं | प्रदेश में 6620 खरगोश हैं जिनकी सर्वाधिक संख्या कुल्लू जिले (3236) में है |

3. कुक्कुट / मुर्गीपालन - हिमाचल प्रदेश में 8 लाख मुर्गे-मुर्गियाँ हैं | काँगड़ा जिले में सर्वाधिक (2.93 लाख) मुर्गियों की संख्या है | पिजेहरा (सोलन) हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा मुर्गी पालन फार्म है | वर्ष 2010-11 में हिमाचल प्रदेश में 10.20 करोड़ अण्डों का उत्पादन हुआ था | सर्वाधिक अण्डों का उत्पादन काँगड़ा जिले (1.97 करोड़) में हुआ | दूसरा स्थान ऊना जिले का आता है |

4. मछली पालन - हिमाचल प्रदेश में 2011-12 में मछली का वार्षिक उत्पादन 8045 मीट्रिक टन हुआ जिसका कुल औसत मूल्य 50.54 करोड़ था | सर्वाधिक मछली का उत्पादन काँगड़ा जिले (2768 मीट्रिक टन) में हुआ | काँगड़ा के बाद दूसरा स्थान बिलासपुर का अता है | दियोली (घाघस), बिलासपुर में एशिया का सबसे बड़ा मत्स्य प्रजनन केंद्र है जिसकी स्थापना 1961 ई. में की गई थी | आलसू (मण्डी), सुल्तानपुर (चम्बा), मिलवां (काँगड़ा) में सरकारी मत्स्य प्रजनन केंद्र खोले गए हैं | प्रदेश में महाशेर, मिरर कार्प, ट्राउट मछली की किस्में पाई जाती हैं | हिमाचल प्रदेश में नार्वे की सहायता से ट्राउट का प्रजनन किया जा रहा है |

5. मधुमक्खी पाल - हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2012-13 में 243 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हुआ | चम्बा के सरोल में 1954 ई. में मधुमक्खी पालन केंद्र खोला गया |

6. दुग्ध उत्पादन - गाय और बैलों के लिए कोठीपुरा (बिलासपुर), कमाण्ड (मण्डी) और पालमपुर में प्रजनन केंद्र है | हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2011-12 में 1107 हजार टन दूध का उत्पादन हुआ | सर्वाधिक दूध का उत्पादन काँगड़ा जिला (215 हजार टन) और मण्डी जिला (202 हजार टन)करते हैं | नाबार्ड के सहयोग से हिमाचल प्रदेश में 2009 में दूध गंगा योजना शुरू की गई | वर्ष 2010-11 में मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना शुरू की गई | हिमाचल प्रदेश में 1980 में मिल्कफेड का पंजीकरण हुआ | मिल्कफेड ने 2 अक्टूबर, 1983 ई. में कार्य करना प्रारंभ किया | पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्य सरकार का पशुपालन विभाग मुहखुर, बी.क्यू. एंटरोटोम्सेमिया, पी. पी. आर, रैबीज, रानीखेत और मरैकस रोगों का मुफ्त टीकाकरण करती है | वर्ष 2006 में काँगड़ा और मण्डी में पशुधन बीमा योजना शुरू की गई जिसे चम्बा, शिमला और हमीरपुर जिलों तक विस्तृत किया गया है | हिमाचल प्रदेश में 2011-12 में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 445 ग्राम प्रतिदिन थी |

7. अन्य - न्यूट्रीमिक्स उत्पाद संयंत्र की स्थापना मण्डी के चक्कर में हिमाचल प्रदेश मिल्कफेड द्वारा किया गया है | हमीरपुर जिले के भोरंज के समीप 16 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता वाला पशु आहार प्लांट लगाया गया है | शिमला के कोटखाई के गुम्मा नामक स्थान पर 5 हजार लीटर क्षमता का अभिशीतन केंद्र स्थापित किया गया है | I.D.D.P. (एकीकृत डेरी विकास परियोजना)> के अंतर्गत शिमला के रामपुर क्षेत्र के दत्तनगर में दुग्ध विधायन संयंत्र लगाया गया है जो प्रतिदिन 5 मीट्रिक टन मिल्क पाउडर का उत्पादन करता है | इसके अलावा हमीरपुर के जंगल बैरी, सोलन के नालागढ़, मण्डी के तांदी व चौंतड़ा में अभिशीतन केंद्र स्थापित किए गए हैं।

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