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Himachal Pradesh | हिमाचल के जिले : कुल्लू

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हिमाचल प्रदेश | हिमाचल के जिले : कुल्लू

1. जिले के रूप में गठन - 1963

2. जिला मुख्यालय - कुल्लू

3. जनसंख्या घनत्व - 79 (2011 में)

4. साक्षरता दर - 80.14% (2011 में)

5. कुल क्षेत्रफल - 5503 वर्ग किमी.

6. जनसंख्या - 4,37,474 (2011 में)

7. लिंग अनुपात - 950 (2011 में)

8. दशकीय वृद्धि दर - 14.65% (2001-2011 में)

9. कुल गाँव - 172 गाँव (आबाद गाँव - 172)

10. ग्राम पंचायतें - 204

11. विकास खण्ड - 5 (2014 तक)

12. विधानसभा सीटें - 4

13. हवाई अड्डा - भुंतर

14. लोकसभा क्षेत्र - मण्डी

15. किताबें -

(क) 'हिमालयन डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कुल्लू और लाहौल-स्पीति' - ए. पी. एफ. हारकोर्ट

(ख) 'कुल्लूत देश की कहानी' - लाल चंद्र प्रार्थी (1972 ई. में)

(i) भूगोल -

1. भौगोलिक स्थिति - कुल्लू हिमाचल प्रदेश के मध्य भाग में स्थित जिला है | कुल्लू के उत्तर में और उत्तर-पूर्व में लाहौल-स्पीतिपूर्व में किन्नौरदक्षिण में शिमलापश्चिम और दक्षिण पश्चिम में मण्डी और उत्तर पश्चिम में काँगड़ा जिला स्थित है |

चश्में - मणिकर्ण, वशिष्ठ खीरगंगा, कसोल और कलथ |

नदियाँ - सतलुज और ब्यास कुल्लू की प्रमुख नदियाँ हैं | सतलुज नदी शिमला जिले के साथ कुल्लू जिले की सीमा बनाती है | पार्वती, तीर्थन, सेंज, हारला, सरवारी, सोलंग, मनालसू, सुजोन, फोजल, ब्यास की प्रमुख सहायक नदियाँ है | पार्वती नदी ब्यास की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो भुंतर(शमशी) के पास ब्यास में मिलती है | तीर्थन नदी लारजीके पास ब्यास में मिलती है | सैंज नदी भी लारजी के पास ब्यास नदी में मिलती है | हारला नदी भुंतर के पास ब्यास में मिलती है | सरवारी नदी कुल्लू के पास ब्यास नदी में मिलती है |

दर्रे - रोहतांग दर्रा, पिन पार्वती दर्रा, जालोरी दर्रा |

झीलें - सरवालसर झील (जालोरी दर्रे के ऊपर स्थित), मनतलाई झील (पार्वती नदी का उदगम स्त्रोत), भृगु झील (रोहतांग दर्रे के पास), द्शहर झील |

(ii) इतिहास -

1. कुल्लू रियासत की स्थापना - कुल्लू का पौराणिक ग्रन्थों में 'कुल्लूत देश' के नाम से वर्णन मिलता है | रामायण, विष्णुपुराण, महाभारत, मार्कण्डेय पुराण, वृहत्संहिता और कल्हण की राजतरंगिणी में कुल्लूत का वर्णन मिलता है | वैदिक साहित्य में कुल्लूत देश को गन्धर्वों की भूमि कहा गया है | कुल्लू घाटी को 'कुलांतपीठ' भी कहा गया है क्योंकि इसे रहने योग्य संसार का अंत माना गया था |

कुल्लू रियासत की स्थापना विहंगमणिपाल ने हरिद्वार (मायापुरी) से आकर की थी | भगवती हिडिम्बा देवी के आशीर्वाद से विहंगमणिपाल ने रियासत की पहली राजधानी (नास्त) जगतसुख स्थापित की | विहंगमणिपाल के पुत्र पच्छ्पाल ने 'गजन' और 'बेवला' के राजा को हराया |

2. महाभारत काल - कुल्लू रियासत की कुल देवी हिडिम्बा ने भीम से विवाह किया था | घटोत्कच भीम और हिडिम्बा का पुत्र था जिसने महाभारत युद्ध में भाग लिया था | भीम ने हिडिम्ब (टांडी) का वध किया था जो देवी राक्षसी हिडिम्बा का भाई था |

3. सिंह बदानी वंश - कैलाशपाल के बाद के 50 वर्षों के अधिकतर समय में कुल्लू सुकेत रियासत के अधीन रहा | वर्ष 1500 ई. में सिद्ध सिंह ने सिंह बदानी वंश की स्थापना की | उन्होंने जगतसुख को अपनी राजधानी बनाया |

(iii) अर्थव्यवस्था -

1. कृषि और पशुपालन - कुल्लू के सैंज में खाद्यान्न बिज संवर्द्धन फार्म स्थित है | हमटा और कुना (आनि)में आलू विकास केंद्रस्थित है | सब्जी अनुसंधान केंद्र कटरैन में स्थित है | कैप्टन आर. सी. ली. ने 1870 ई. में बंदरोल कुल्लू में ब्रिटिश किस्म के बगीचे लगाए | कुल्लू के मोहल में 1964 ई. में अंगोरा फार्म स्थापित किया गया | कुल्लू के पतलीकुहल, नागिनी और मोहेली में मछली फार्म स्थित है | कुल्लू के बजौरा, नग्गर और रायसन में चाय के बगीचे हैं | पाधा बंसीलाल ने स्थानीय स्तर पर सेब के बगीचे लगाने का कार्य किया | मनाली में ए.टी. बैनन ने 1884 ई. में ब्रिटिश किस्म के सेब लगाए | डफ ने कटरैन और डुंगरी, कर्नल रैनिक ने बजौरा, मिनिकिन ने नग्गर में सेब के बाग़ लगाए |

2. उद्योग और खनिज - कुल्लू में ग्रामीण औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानबालिका औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) स्थित है | शमशीकी ITI1961-62 ई.में शुरू हुई | पार्वती घाटी में काई नाइटलारजी और हारला में लाइमस्टोन पाया जाता है |

3. जलविद्युत परियोजनाएँ - पार्वती परियोजना (2051 मेगावाट), मलाणा परियोजना (86 मेगावाट), लारजी परियोजना (126 मेगावाट ) | पार्वती परियोजना हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है |

4. पार्वती जलविद्युत परियोजना - पार्वती, सैंज और गढ़सा नदियों के संगम पर स्थित है | इस परियोजना में 3 विद्युत गृह नकथाप, सैंज और लारजी में स्थित है | पार्वती परियोजना पर 5 राज्यों ने 20 अक्टूबर, 1992 में समझौता किया | ये पांच राज्य हैं - गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश |

(iv) मेले और मंदिर -

1. कुल्लू दशहरा - कुल्लू के ढालपुर मैदान में दशहरे के दिन रघुनाथ जीकी रथयात्रा निकाली जाती है | हिडिम्बा माताको कुल्लू के राजा रघुनाथ मंदिर(सुल्तानपुर) तक ले जाते हैं | कुल्लू दशहरा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का त्यौहार है जो 7 दिनों तक चलता है |

भगवान परशुराम की याद में भडोली मेलाऔर निर्मण्ड में बूढ़ी दीवाली मनाई जाती है | देवी हिडिम्बा की याद में डूंगरी मेला लगता है |

2. मंदिर - मनाली में हिडिम्बा देवी मंदिर स्थित है जिसे कुल्लू के राजा बहादुर सिंह ने 1553 ई. में बनवाया था | यह पगौड़ा शैली में निर्मित है | कुल्लू राजवंश की कुल देवी भगवती हिडिम्बा को माना जाता है |

निर्मण्ड में परशुराम मंदिर स्थित है | निर्मण्ड को कुल्लू का छोटा काशी कहते हैं |

बजौरा में महिषासुरमर्दिनी और विश्वेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है |

(v) महत्त्वपूर्ण स्थान -

1. मनाली - मनाली का नाम मनु के नाम से पड़ा(मनु-आलय) अर्थात मनु का घर | मनु ने सृष्टि की रचना यहीं से आरंभ की | भीम ने हिडिम्बा से यहीं विवाह किया था | डुंगरी मेला जो हिडिम्बा देवी को समर्पित है, यहीं पर मनाया जाता है | मनाली से 12 किमी. दूरी पर सोलंग नाला में अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग प्रतियोगिता व राष्ट्रीय शीतकालीन खेल आयोजित होते हैं | मनाली में हिडिम्बा देवी का मंदिर है, जिसे 1553 ई. में राजा बहादुर सिंह ने बनवाया था | मनाली में श्रृंग ऋषि ने राजा दशरथ से पुत्र-प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया था | मनाली कुल्लू मार्ग के भनारा गाँव में अर्जुन गुफा है | इसमें श्री कृष्ण भगवान की प्रतिमा है | अर्जुन ने ब्रह्म-अस्त्र प्राप्ति के लिए यहीं तपस्या की थी | मनाली में 1961 ई. में पर्वतारोहण संस्थान खोला गया |

2. मणिकर्ण - यहाँ पर गर्म पानी का चश्मा है | यहाँ देवी पार्वती की कान की मणि टूट कर गिर गई थी |

3. नग्गर - यहाँ पर रोरिक कला संग्रहालय है | रोरिक रूस का रहने वाला था | 1942 ई. में इंदिरा गांधी व पण्डित नेहरु यहाँ आए थे | यह पूर्व में कुल्लू रियासत की राजधानी थी | देविका रानी निकोलस रोरिक की पत्नी थी |

4. भुंतर - भुंतर में हवाई अड्डा है | हारला नदी भुंतर में ब्यास नदी में मिलती है |

5. मलाणा - मलाणा गाँव विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र है, जिस पर शासन जामलू देवता करते हैं | जामलू देवता परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि को कहा जाता है |

6. तिरथन - तिरथन में ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय पार्क है |

(vi) महत्त्वपूर्ण व्यक्ति -

1. प्रताप सिंह - 1857 ई. विद्रोह के नेता जिन्हें धर्मशाला में फाँसी पर चढ़ा दिया गया था |

2. निकोलस रोरिक - रुसी कलाकार जो कुल्लू के नग्गर में 1947 ई. तक (आजीवन) तक रहे | उनके नाम पर रोरिक कला संग्रहालय नग्गर में स्थित है |

3. लालचंद प्रार्थी - कुल्लू से मंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति लाल चंद प्रार्थी ने 1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और कुल्लूत देश की कहानी पुस्तक लिखी |

(vii) जननांकीय आँकड़े - कुल्लू जिले की जनसंख्या 1901 ई. में 1,19,585 से बढ़कर 1951 ई. में 1,45,688 हो गई | वर्ष 1971 में कुल्लू जिले की जनसंख्या 1,92,371 से बढ़कर 2011 ई. में 4,37,474 हो गई | कुल्लू जिले का लिंगानुपात 2011 में 950 है | कुल्लू जिले का जनघनत्व 2011 में 79 हो गया | कुल्लू जिले की 2011 में हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या में योगदान 6.38% है | कुल्लू जिले में कुल 172 गाँव है जिसमें से सभी 172 गाँव आबाद गाँव है | कुल्लू जिला एकमात्र जिला है जहाँ कोई भी गैर-आबाद गाँव नहीं है | कुल्लू जिले में 204 पंचायते हैं | कुल्लू जिले में 2 नगर परिषद कुल्लू और मनाली तथा 2 नगर पंचायत भुंतर और बंजार स्थित है |

(viii) कुल्लू जिले का स्थान - कुल्लू जिला क्षेत्रफल में पाँचवें स्थान पर है | कुल्लू जिलें में सबसे कम आबाद गाँव हैं | कुल्लू जिला जनसंख्या में 9वें स्थान पर है | कुल्लू जिला 79 जनघनत्व के साथ 10वें स्थान पर स्थित है | कुल्लू जिला वर्ष 2012 तक सड़कों की लम्बाई (1666 किमी.) के मामले में 9वें स्थान पर था | वर्ष 2001-2011 की दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर में कुल्लू चौथे स्थान पर है | लिंगानुपात में कुल्लू जिला सातवें स्थान पर है, जबकि शिशु लिंगानुपात में कुल्लू जिला 2011 में 962 के साथ दूसरे स्थान पर स्थित था | 2011 की साक्षरता में कुल्लू जिला नौवें स्थान पर स्थित है | कुल्लू जिले की 9.43% जनसंख्या शहरी और 90.57% जनसंख्या ग्रामीण हैं | कुल्लू जिले का वन क्षेत्रफल के मामले में तीसरा तथा वनाच्छादित क्षेत्रफल के मामले में सातवाँ स्थान है | कुल्लू जिले में 1,14,942 भेड़ें हैं और वह तीसरे स्थान पर है | कुल्लू में किन्नौर के बाद सबसे कम चरागाह है | वर्ष 2011-2012 में कुल्लू जिला सेब उत्पादन में तीसरे स्थान पर था | कुल्लू जिले में 2011-2012 में सर्वाधिक प्लम, नाशपाती और अनार का उत्पादन हुआ।

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