1. जिले के रूप में गठन - 1972 ई.
2. जिला मुख्यालय - ऊना
3. जनसंख्या घनत्व - 338 (2011 में)
4. साक्षरता - 87.23% (2011 में)
5. कुल क्षेत्रफल - 1540 वर्ग किमी. (2.77%)
6. जनसंख्या - 5,21,057 (2011 में ) (7.60%)
7. लिंग अनुपात - 977 (2011 में)
8. दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर - 16.24% (2011 में)
9. कुल गाँव - 814 (आबाद गाँव - 758)
10. ग्राम पंचायतें - 235
11. विकास खण्ड - 5
12. विधानसभा क्षेत्र - 5
13. शिशु लिंगानुपात - 870 (2011 में)
14. ग्रामीण जनसंख्या - 4,76,140 (91.38%)
(i) भूगोल -
1. भौगोलिक स्थिति - ऊना हिमाचल प्रदेश के पश्चिम भाग में स्थित है | इसके उत्तर में काँगड़ा, पश्चिम में पंजाब राज्य, पूर्व में हमीरपुर और दक्षिण में बिलासपुर जिलें की सीमाएं लगती हैं |
2. पर्वत श्रृंखलाए - ऊना जिला हिमालय पर्वत श्रेणी की शिवालिक पर्वतमालाओं के अंचल में बसा है | ऊना को पश्चिम में जस्वां दून की पहाड़ियाँ पंजाब से पृथक करती हैं | ऊना शहर दून के मध्य में स्थित है | ऊना जिले के पूर्व में जस्वांधार या चिंतपूर्णी धार है जिसे हमीरपुर जिले में सोलह सिंगी धार के नाम से जाना जाता है | भरवैन इसकी सबसे ऊंची चोटी है |
3. नदियाँ - ब्यास और सतलुज के बीच बसे ऊना की प्रमुख नदी स्वान है | यह जस्वां घाटी में बहती हुई आनंदपुर साहिब के पास सतलुज नदी में मिलती है |
(ii) इतिहास - ऊना जिला मुख्यत: जस्वां रियासत और कुटलेहर रियासत के अंतर्गत आता है | पूर्व में ये दोनों रियासतें काँगड़ा रियासत का हिस्सा थीं |
1. जस्वां रियासत - ऊना जिले का अधिकतर भाग जस्वां रियासत के अंतर्गत आता था जो कि काँगड़ा रियासत के प्रशाका थी | जस्वां रियासत की स्थापना काँगड़ा के कटोच वंश के राजा पूर्व चंद ने 1170 ई. में की थी | इसकी राजधानी अम्ब के पास राजपुर में स्थित थी | जस्वां रियासत काँगड़ा से टूटकर बनने वाली पहली रियासत थी | इस रियासत के उत्तर में सिब्बा और दत्तारपुर तथा पूर्व में काँगड़ा, कुटलेहर और कहलूर राज्य स्थित थे | इस रियासत पर पूर्वचंद से लेकर उम्मेद सिंह तक 27 राजाओं ने शासन किया | मुगल काल में अकबर के समय जस्वां रियासत मुगलों के अधीन आ गई | उस समय जस्वां का राजा गोविंद चंद था | गोविंद चंद के पोते अनिरुद्ध चंद ने दो बार मुगलों के विरुद्ध विद्रोह किया |
संसारचंद के आक्रमण के समय जस्वां संसारचंद के कब्जे में आ गया | संसारचंद के विरुद्ध उम्मेद चंद ने गोरखों का साथ दिया था | जस्वां रियासत पर 1815 ई. में सिखों ने कब्जा कर लिया | वर्ष 1848 ई. में दूसरे सिख युद्ध में उम्मेद सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध सिखों का साथ दिया | उम्मेद सिंह और उसके पुत्र जय सिंह को गिरफ्तार कर अल्मोड़ा भेज दिया गया जहाँ उनकी मृत्यु हुई | 1879 ई. में उम्मेद सिंह के पोते रणसिंह ने अपने पुरखों की रियासत के 21 गाँवों में कब्जा कर लिया था |
2. कुटलेहर रियासत - कुटलेहर रियासत भी ऊना जिले का हिस्सा थी जो काँगड़ा रियासत से टूटकर बनी थी | कुटलेहर रियासत को पूर्व में चौकी कुटलेहर के नाम से जाना जाता था | कुटलेहर काँगड़ा क्षेत्र की सबसे छोटी रियासत थी | इस रियासत पर 40 राजाओं ने शासन किया | कुटलेहर रियासत की स्थापना जसपाल नामक ब्राह्मण ने की | उसने अपनी राजाधानी कोट-कहलूर में स्थापित की | जसपाल के पुत्र और पोते ने भज्जी और कोटी रियासतों की स्थापना की थी | कुटलेहर उत्तरी प्रांत चौकी पर 1758 ई. में घमण्डचंद ने कब्जा कर लिया था | संसारचंद ने 1786 ई. में कुटलेहर पर कब्जा किया जिसे बाद में गोरखाओं ने आजाद करवाया | वर्ष 1809 ई. में राज्य सिखों के अधीन आ गया | कुटलेहर के राजा नारायण पाल ने 1825 ई. में रणजीत सिंह से कौटवालवाह किले के लिए युद्ध किया | कुटलेहर रियासत का अंतिम राजा वृजमोहन पाल था | बेदी विक्रम सिंह ने 1848 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया | बेदी सुजान सिंह ने ऊना शहर को 1848 ई. में पुन: बेदी शासन के अधीन लाया |
3. स्वतंत्रता संग्राम - ऊना जिले में 19 मई, 1857 ई. को विद्रोह भड़का | ऊना जिले से सर्वप्रथम 1905 ई. में बाबा लक्ष्मण दास आर्य ने स्वाधीनता आंदोलन में प्रवेश किया | उन्हें 1908 ई. में गिरफ्तार कर लाहौर जेल भेजा गया | बाबा लक्ष्मण दास के पुत्र सत्य प्रकाश बागी, महाशय तीर्थ राम ओयल, गोपीचंद भार्गव ऊना जिले के स्वतंत्रता सेनानी थे |
4. जिले की स्थापना - वर्तमान ऊना जिला 1966 ई. से पूर्व पंजाब के होशियारपुर जिले की तहसील थी | वर्ष 1966 ई. से 1972 ई. तक ऊना काँगड़ा जिले का भाग था | वर्ष 1972 ई. में ऊना को जिलें का दर्जा प्रदान किया गया | ऊना शहर की नींव बाबा कलाधारी ने की थी |
(iii) मेलें - ऊना जिले में चिंतपूर्णी मेला, बसौली में पीर निगाह मेला, मैड़ी में बाबा बड़भाग सिंह मेला प्रसिद्ध है |
(iv) अर्थव्यवस्था - ऊना जिले के पेखूबेला में बीज संवर्द्धन फार्म है | ऊना जिला कागजी नींबू, किन्नू, माल्टा, संतरे और आम के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है | सरकार ने 'अन्जोली' में एक पोल्ट्री फार्म खोला है | ऊना जिले के 3 स्थानों (जलेरा, बंगाणा और पुबोवाल) में दुग्ध अभिशीतन केंद्र हैं | मेहतपुर ऊना जिले का औद्योगिक केंद्र है | ऊना-नंगल रेल लाइन 1991 ई. में बनाई गई | यह ब्रॉड गेज रेल लाइन है |
(v) जननांकीय आँकड़े - ऊना जिले की जनसंख्या 1901 ई. में 1,65,000 से बढ़कर 1951 ई. में 1,96,829 हो गई | वर्ष 1971 ई. में ऊना जिले की जनसंख्या 2,61,357 से बढ़कर 2011 में 5,21,057 हो गई | ऊना जिले का लिंगानुपात 2011 में 977 था | ऊना जिले का जनघनत्व 2011 में 338 हो गया | ऊना जिले में 235 ग्राम पंचायतें, 758 आबाद गाँव, 5 विकास खण्ड और विधानसभा क्षेत्र है | ऊना जिले की 2011 में 91.38% जनसंख्या ग्रामीण और 8.62% जनसंख्या शहरी थी | दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर 16.42% रही जोकि 12 जिलों में सर्वाधिक है |
(vi) ऊना जिले का स्थान - ऊना जिला क्षेत्रफल में 10वें स्थान पर है | ऊना जिला जनसंख्या में छठे स्थान पर है | ऊना जिला जनघनत्व (338) में हमीरपुर के बाद दूसरे स्थान पर है | दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर (16.24%) में ऊना जिला प्रथम स्थान पर है | ऊना जिले में सबसे अधिक सिख जनसंख्या पाई जाती है | ऊना जिला सड़कों की लम्बाई (2012 तक) में 1771 किमी. के साथ आठवें स्थान पर था | ऊना जिला (2011 में ) लिंगानुपात में छठे स्थान पर है जबकि शिशु लिंगानुपात में, (2011 में) ऊना (870) 12वें और अंतिम स्थान पर है अर्थात ऊना जिले का शिशु लिंगानुपात न्यूनतम (2011 में) है | ऊना जिला 87.23% साक्षरता के साथ दूसरे स्थान पर है | ऊना जिला वन क्षेत्रफल (487 वर्ग किमी.) में दसवें और वनाच्छादित क्षेत्रफल (205 वर्ग किमी.) में आठवें स्थान पर है | ऊना जिले में काँगड़ा के बाद सर्वाधिक भैंसे हैं | ऊना जिला उद्योग में रोजगार उपलब्धता के मामले में चौथे स्थान पर हैं | ऊना जिला काँगड़ा के बाद सबसे ज्यादा आम उत्पादन करने वाला जिला है | ऊना जिला (2011-2012 में ) संतरा, माल्टा, अमरुद, पपीता और आंवला उत्पादन में दूसरे स्थान पर है | सबसे कम कच्ची सड़कों की लम्बाई (170 किमी.) ऊना जिलें में हैं।