15 अगस्त, 1947 को देश को स्वतंत्रता मिलने पर भी यहाँ के शासक आसानी से जनता के हाथों में सत्ता सौंपने में संकोच कर रहे थे | लेकिन ठियोग के राजा ने 17 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र ठियोग की लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया और राज्य की बागडोर जनता को सौंप दी | सूरतराम प्रकाश को मुखिया बनाया गया | ठियोग भारतीय संघ में विलय होने वाली पहली हिमाचली रियासत बनी |
(i) अस्थायी हिमाचल सरकार - 26 जनवरी, 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश स्टेट्स रीजनल कौंसिल की एक सभा में पहाड़ी प्रान्तों की अस्थायी सरकार बनी | इस अस्थायी सरकार का प्रधान शिवानंद रमौल को चुना गया |
(ii) हिमाचल का नामकरण - 26 से 28 जनवरी, 1948 ई. में प्रजामण्डल और रियासतों के राजाओं का सम्मेलन सोलन के दरबार में हुआ | इस सम्मेलन की अध्यक्षता बघाट के राजा दुर्गासिंह ने की | इस सम्मेलन में सभी पहाड़ी रियासतों ने "हिमाचल प्रदेश" का नामकरण किया |
(iii) सुकेत सत्याग्रह - 18 फरवरी, 1948 ई. को नेताओं और जनता ने रियासतों के भारत में विलय के लिए सत्याग्रह करने का फैंसला किया | पं. पद्म देव के नेतृत्व से घबराकर 22 फरवरी, 1948 ई. को सुकेत राजा ने सरकार से मदद मांगी | 15 अप्रैल, 1948 ई. को सुकेत हिमाचल में शामिल हो गया | 1948 ई. के प्रारम्भ तक सभी रियासतों का भारतीय संघ में विलय हो गया |
(iv) हिमाचल प्रदेश का जन्म - 15 अप्रैल, 1948 ई. को लंबी राजनैतिक लड़ाई के बाद 26 शिमला हिल स्टेट्स और 4 पंजाबी पहाड़ी रियासतों (कुल 30 रियासतों) को मिलाकर हिमाचल प्रदेश का गठन किया गया | हिमाचल प्रदेश के गठन के समय इसमें 4 जिलें चम्बा, मण्डी, महासू और सिरमौर थे | हिमाचल प्रदेश में 24 तहसीलें एवं 2 उप-तहसीलें थी | हिमाचल प्रदेश का क्षेत्रफल 27108 वर्ग किमी. था | 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल प्रदेश को "मुख्य आयुक्त क्षेत्र" अर्थात् चीफ कमिश्नर प्रोविन्स बनाया गया | एन. सी. मेहता प्रदेश के पहले मुख्य आयुक्त (चीफ कमिश्नर) बने | 1948 से 1951 तक हिमाचल प्रदेश मुख्य आयुक्त क्षेत्र रहा और यहाँ पर 3 मुख्य आयुक्त बने | एन. सी. मेहता, ई. पेंडरल मून तथा भगवान सहाय को हिमाचल प्रदेश के आखिरी मुख्य आयुक्त रहे |
(v) 15 अप्रैल, 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश का प्रशासनिक ढाँचा - हिमाचल प्रदेश के गठन के समय 24 तहसीलें और 2 उप-तहसीलें थी | शिमला हिल स्टेट्स की 26 छोटी बड़ी रियासतों को मिलाकर महासू जिले का गठन किया या | मण्डी और सुकेत रियासतों को मिलाकर मण्डी जिले का गठन किया गया | चम्बा रियासत से चम्बा और सिरमौर रियासत में सिरमौर जिले का गठन हुआ |
(क) महासू जिला - महासू जिले की 26 रियासतों को मिलकर 11 तहसीलें बनाई गई |
1. अर्की (बाघल, कुनिहार, मांगल)
2. सोलन (बघाट, बेजा, कुठाड़)
3. कुसुमपटी (क्योंथल का जुन्गा, धामी, कोटी)
4. ठियोग (ठियोग, घुण्ड, रतेश, बलसन)
5. कुमारसेन (कुमारसेन)
6. रामपुर (बुशहर की रामपुर)
7. रोहणू (रोहणू बुशहर की)
8. चीनी (बुशहर की चीनी)
9. जुब्बल (जुब्बल, रावी, ढाढी)
10. सुन्नी (भज्जी)
11. चौपाल (जुब्बल की चौपाल और थरोच रियासत)
(ख) सिरमौर जिला - 4 तहसील (नाहन, पौंटा, रेणुका, पच्छाद) |
(ग) मण्डी जिला - 6 तहसील (मण्डी सदर, सुंदरनगर, चच्योट, सरकाघाट, करसोग, जोगिन्द्रनगर) |
(vi) 1950 ई. में हिमाचल प्रदेश से हस्तान्तरित और हिमाचल प्रदेश में शामिल किए गाँव -
(क) हिमाचल प्रदेश में शामिल गाँव -
1. पंजाब से -सोलन कैण्ट, कोटगढ़ कोटखाई, उत्तरप्रदेश-सनसोग, भाटर |
2. पैप्सू से - कुफरी, धार, खुलोग, गोलिया, जमराह, सुरेटा |
(ख) हिमाचल प्रदेश से हस्तान्तरित गाँव -
1. पंजाब को - संजौली, भराड़ी, चक्कर, प्रोस्पेक्ट हिल, कुसुमपटी, पट्टी रिहाना |
2. पैप्सू की - रामपुर, वाकना, कोटाह, भरी |
(vii) 'ग' श्रेणी का राज्य हिमाचल -भारतीय ससंद में 1951 ई. में श्रेणी के राज्यों का अधिनियम पारित किया | इस अधिनियम के आधार पर 1951 ई. में हिमाचल प्रदेश को श्रेणी का राज्य बनाया गया | अब मुख्यायुक्त के स्थान पर उपराज्यपाल बनाया गया | 1 मार्च, 1952 को मेजर जनरल हिम्मत सिंह को हिमाचल प्रदेश का पहला उपराज्यपाल (लेफ्टिनेंट गवर्नर) बनाया गया | हिमाचल प्रदेश 1951-1956 ई. तक 'ग' श्रेणी का राज्य बना रहा | वहीं 1952 में 36 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हुए | 24 सीटों के साथ कांग्रेस को बहुमत मिला | डॉ. यशवंत सिंह परमार 24 मार्च, 1952 ई. को हिमाचल प्रफ्देश के पहले मुख्यमंत्री बने | के. एल. मेहता 1952 ई. में हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्य सचिव बने | हिमाचल प्रदेश विधानसभा का प्रथम सत्र 1952 ई. में राष्ट्रपति निवास (वायस रीगल लॉज) में हुआ | जिनका उद्घाटन उपराज्यपाल मे. ज. हिम्मत सिंह ने किया | वर्ष 1952-56 के बीच विधानसभा की बैठकें राष्ट्रपति निवास (वायस रीगल लॉज) हिमाचल धाम और कौंसिल चेम्बर में हुई |
(viii) बिलासपुर पाँचवाँ जिला - 1 जुलाई, 1954 ई. को ‘ग’ श्रेणी (Part ‘C’ State) के राज्य बिलासपुर का हिमाचल प्रदेश में विलय हो गया | बिलासपुर हिमाचल प्रदेश का पाँचवाँ जिला बना | हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर के विलय के बाद क्षेत्रफल 27,018 + 1168 = 28,186 वर्ग किमी. हो गया | बिलासपुर को शामिल करने के बाद विधानसभा सदस्यों की संख्या 41 हो गई |
(ix) केन्द्रशासित प्रदेश - 1956 में ’राज्य पुनर्गठन आयोग’ के सदस्य जस्टिस फाजिल अली. एच. एन. कुजरों और के. एम. पाणिकर ने दो के मुकाबले एक मत से हिमाचल प्रदेश को पंजाब में शामिल करने की सिफारिश कर दी | लेकिन डॉ. परमार के प्रयासों से हिमाचल अपना अस्तित्व बचाए रखने में कामयाब रहा | 1956 को हिमाचल प्रदेश को केद्रशासित प्रदेश बनाया गया और बजरंग बहादुर इस केन्द्रशासित प्रदेश के पहले उपराज्यपाल बने | हिमाचल प्रदेश 1956 से 1971 ई. तक केन्द्रशासित प्रदेश रहा | बहादुर सिंह 1971 ई. में हिमाचल के 5वें और आखिरी उप-राज्यपाल थे |
(x) क्षेत्रीय परिषद् - 1956 ई. में विधानसभा को भंग कर 41 सदस्यीय क्षेत्रीय परिषद् का प्रावधान किया गया | डॉ. परमार ने 31 अक्टूबर, 1956 को त्यागपत्र दे दिया | 1957 में क्षेत्रीय परिषद् के सदस्यों का निर्वाचन हुआ और कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला | 1957 से 1963 तक हिमाचल प्रदेश में क्षेत्रीय परिषद रही | 1963 में विधानसभा की वापसी हुई और क्षेत्रीय परिषद् को भंग कर दिया गया | डॉ. यशवंत सिंह परमार 1963 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने | ठाकुर कर्म सिंह को प्रांतीय परिषद् का प्रथम अध्यक्ष चुना गया था |
(xi) किन्नौर छठा जिला - 1 मई, 1960 को महासू जिले से चिनी तहसील अलग कर किन्नौर नाम से हिमाचल प्रदेश का छठा जिला बनाया गया | किन्नौर जिले में निचार, कल्पा, सांगला तीन तहसीलें तथा मुरंग, पूह और हांगरांग उपतहसीलें बनाई गई |
(xii) पंजाब का पुनर्गठन और विशाल हिमाचल - 1 नवम्बर, 1966 ई. को पंजाब का पुनर्गठन किया गया जिसके बाद पंजाब से निम्न क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में शामिल किए गए -
1. जिला काँगड़ा से - काँगड़ा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति और शिमला |
2. जिला अम्बाला से - नालागढ़ |
3. जिला गुरदासपुर से - डलहौजी |
4. जिला होशियारपुर से - लोहारा, अम्ब, ऊना और संतोखगढ़ |
हिमाचल प्रदेश में 6 के बाद 4 और जिले काँगड़ा, कुल्लू, शिमला और लाहौल-स्पीति 1966 में पंजाब पुनर्गठन के बाद बने | पंजाब राज्य पुनर्गठन आयोग 1965 के अध्यक्ष सरदार हुकम सिंह थे | हिमाचल प्रदेश में 1 नवम्बर, 1966 ई. को जिलों की संख्या 6 से बढ़कर 10 हो गई | हिमाचल प्रदेश का क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किमी. हो गया | डॉ. यशवंत सिंह परमार 1967 ई. के चुनाव जीतने के बाद तीसरी बार मुख्यमंत्री बने |
(2) 1966 ई. में 4 नये जिलों का प्रशासन -
(क) जिला काँगड़ा - 6 तहसीलें (काँगड़ा, पालमपुर, नूरपुर, देहरा गोपीपुर, हमीरपुर, ऊना) |
(ख) जिला कुल्लू - 1 तहसील (कुल्लू), 3 उप-तहसील (बंजार, आनी, निरमण्ड) |
(ग) जिला शिमला - 2 तहसील (शिमला, कण्डाघाट), 1 उप-तहसील (नालागढ़) |
(घ) जिला लाहौल-स्पीति - 2 तहसील (लाहौल और स्पीति) |
(xiii) पूर्ण राज्य की प्राप्ति - जनवरी, 1968 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने एकमत होकर प्रस्ताव पास कर राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की | 18 दिसम्बर, 1970 ई. को भारतीय संसद ने एकमत से हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य बनाने का प्रस्ताव पारित किया | 25 जनवरी, 1971 ई. को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शिमला के रिज मैदान पर हिमाचल प्रदेश को देश का 18वाँ पूर्ण राज्य बनाने की घोषणा की | 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल प्रदेश देश का 18वाँ पूर्ण राज्य बना और डॉ. यशवंत सिंह परमार पूर्ण राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने | 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद एस. चक्रवर्ती हिमाचल प्रदेश के प्रथम राज्यपाल (गवर्नर) बने | पूर्ण राज्य प्राप्ति के बाद देशराज महाजन विधानसभा अध्यक्ष बने |
(xiv)(1) जिलों का पुनर्गठन (1972) - पूर्ण राज्य बनते समय हिमाचल प्रदेश में 10 जिले थे | 1972 में जिलों का पुनर्गठन किया गया | काँगड़ा जिले को विभाजित कर ऊना व हमीरपुर जिलों को बनाया गया, वहीं शिमला, महासू को पुनर्गठित कर शिमला व सोलन जिलों का निर्माण किया गया | आज हिमाचल प्रदेश में 12 जिले - चम्बा, सिरमौर, मण्डी, बिलासपुर, किन्नौर, काँगड़ा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, शिमला, सोलन, ऊना व हमीरपुर हैं | 1 सितम्बर, 1972 ई. को हिमाचल प्रदेश में 35 तहसीलें और 9 उप-तहसीलें शामिल थीं |
(2) 1972 में जिलों की प्रशासनिक व्यवस्था -
(क) जिला काँगड़ा - 4 तहसीलें (काँगड़ा, पालमपुर, नूरपुर और देहरा गोपीपुर) |
(ख) जिला हमीरपुर - 2 तहसीलें (हमीरपुर, बड़सर) |
(ग) जिला ऊना - 1 तहसील (ऊना), 1 उप-तहसील (अम्ब) |
(घ) जिला शिमला (महासू और शिमला जिले से) - 6 तहसीलें (शिमला, ठियोग, रामपुर, चौपाल, जुब्बल और रोहणू) |
(ड़) जिला सोलन (महासू और शिमला जिले से) - 4 तहसीलें (सोलन, अर्की, नालागढ़, कण्डाघाट)