#ज्योतिष_का_आधार (भाग एक):- जब भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया तो उन्होंने तारामंडल का निर्माण किया। फिर तारामंडल के समूहों को नक्षत्रों में बांटा। जो ग्रह जिस समय जिस नक्षत्र में होता है वह उसी नक्षत्र के पूरे गुरुत्वाकर्षण बल को लेंस की भांति फोकस करता है।
जब भी किसी मनुष्य का जन्म होता है उस समय पर जो ग्रह जिस नक्षत्र में होता है उसी प्रकार का प्रभाव शिशु को देता है यह प्रभाव उसमे हम डिफॉल्ट मान सकते हैं। सबसे ज्यादा प्रभाव चंद्रमा का होता है इसीलिए जन्म समय पर चंद्रमा जिस नक्षत्र चरण में होता है वही किसी मनुष्य का जन्म नक्षत्र कहलाता है। और पूर्व दिशा में जिस नक्षत्र का उदय हो रहा होता है वह जन्म लग्न कहलाता है।
जन्म लग्न किसी का शरीर का गठन कैसा होगा यह बताता है और जन्म नक्षत्र किसी व्यक्ति का स्वभाव या temperament कैसा होगा यह बताता है।
जन्म नक्षत्र के आधार पर यह तय होता है की किस व्यक्ति के जीवन में किस ग्रह की महादशा कब चलेगी। इस बात को मैं उदाहरण सहित समझाता हूं।
जैसे मान लो किसी व्यक्ति का जन्म भरणी नक्षत्र के प्रथम चरण और कुंभ लग्न में हुआ हो। तो उसका शरीर कुंभ लग्न के स्वामी शनि के प्रभाव में होगा मतलब पतला, गठीला, नाडीदार, और वह बिना कोई व्यायाम किए जिम की तरह शरीर वाला होगा। लेकिन उसका स्वभाव भरणी नक्षत्र का होगा मतलब वह अंतर्मुखी, टू द प्वाइंट बात करने वाला, हर काम नियम से करने वाला, कोई फालतू का हंसी मजाक नही। इश्कबाजी के कामों से दूर ही रहता है।
सबसे पहले उसकी शुक्र की महादशा होगी जो 20 वर्ष तक की हो सकती है। अगर शुक्र अच्छा पड़ा है तो वह शुक्र की महादशा तक अच्छा सुख प्राप्त करेगा और अपनी पढ़ाई भी अच्छी तरह से कर लेगा नही तो नही। फिर उसकी सूर्य की छह साल की महादशा होगी , परंतु सूर्य उसके लग्न के हिसाब से उसका मारक ग्रह भी है अगर वह अच्छा पड़ा है या वृहस्पति से दृष्ट है तो वह अवश्य सरकारी अफसर या किसी भी फील्ड में अच्छा करेगा, अगर शुक्र की दशा में उसने ठीक पढ़ाई कर ली है तब।
इसी प्रकार से अगर भरणी नक्षत्र जन्म में शुक्र अच्छा पड़ा है और सूर्य दसवें स्थान का स्वामी होकर अच्छी स्थिति में है तो वह पक्का डाक्टर, आईएएस या आईपीएस या आर्मी ऑफिसर बन जायेगा।
इसी प्रकार से अन्य सभी जन्म नक्षत्र और जन्म लग्न और दशा महादशा के आधार पर किसी के जीवन का सार पता लगाया जा सकता है। बाकी भाग दो में लिखूंगा। अगर आप भरणी नक्षत्र में उत्पन हुए है तो आप शुरू के शुक्र और सूर्य की दशा के आधार पर खुद यह फल देख सकते हैं।
- By Gopal Kapoor
