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ज्योतिष_का_आधार | भाग दो

#ज्योतिष_का_आधार (भाग दो):-
  हमारे जन्म नक्षत्र और किसी ग्रह की दशा महादशा क्या प्रभाव डालेगी यह सब पर अलग अलग होता है। एक ही प्रकार की ग्रह दशा किसी के लिए खुशी किसी के लिए गम हो सकती है। अगर हम किन्हीं ज्योतिष और मानसिक उपायों से अपनी प्रवृति में परिवर्तन कर सके तो हमारे लिए बुरी साबित होने वाली ग्रह दशा अच्छी भी हो सकती है। 
   इस बात को मैं अपने उदाहरण और अपने एक मित्र के उदाहरण से समझाता हूं। जैसे मेरी अपनी केतु की महादशा चली हुई है केतु ग्रह सांसारिक मौज मस्ती से दूर करने वाला और व्यक्ति को ज्ञान से और वैराग्य से जोड़ने वाला ग्रह है। 
  तो जाहिर सी बात है केतु आपको सांसारिक मौज मस्ती के कामों में असफलता देगा लेकिन ज्ञान वैराग्य के क्षेत्रों में सफलता। अब क्योंकि मेरा अपना जन्म नक्षत्र पुनर्वसु है यह जन्म नक्षत्र व्यक्ति को बहुत लचीले स्वभाव का बनाता है और व्यक्ति जीवन में हर अच्छे बुरे काम कर सकने की योग्यता रखता है। और वह संन्यासी और राजा दोनो प्रकार का जीवन जी सकता है। तो जाहिर है की दशा आने से पहले जो व्यक्ति जिसका बुध अच्छा पड़ा हो वह सब तरह के सांसारिक विषय में उलझ चुका होगा उसने सारे अच्छे बुरे काम कर लिए होंगे, लेकिन जब केतु की महादशा आयेगी तो एकदम से उसकी सांसारिक भौतिक सुख समाप्त हो जायेंगे। 
  लेकिन पुनर्वसु नक्षत्र वाला व्यक्ति इस परिवर्तन को आत्मसात कर लेगा और अपने जीवन को घोर सांसारिक से वैरागी जीवन में ढाल लेगा और सुखी रहेगा।
   लेकिन अगर यही स्थिति किसी पुष्य नक्षत्र वाले के सामने पेश आयेगी तो वह इस ग्रह दशा में आए परिवर्तन का विरोध करेगा , लड़ेगा वह इस परिस्थिति में अपने आप को नही ढाल पाएगा। उसकी ऐसी मानसिक स्थिति के कारण उसके रिश्तों पर और बाकी बातों पर नेगेटिव प्रभाव पड़ेगा और केतु की महादशा उसके जीवन में सबसे ज्यादा कष्टकारी साबित होगी।
  लेकिन अगर इसी पुष्य नक्षत्र वाले व्यक्ति को कोई अच्छी गाइडेंस मिल जाए या वह किसी तरीके इस परिवर्तन में एडजस्ट हो जाए तो उसका केतु की दशा का समय ठीक से निकल सकता है।
  लेकिन अधिकतर लोग ऐसे परिवर्तन को झेल नहीं पाते या पूजा पाठ या उपायों से किसी चमत्कार होने की उम्मीद करते हैं।और ऐसा नहीं होता।
   इसी कारण से मैं मानता हूं कि ज्योतिष आपकी जन्म कुंडली के हिसाब से सिर्फ आपका समय और आने वाले समय की प्रकृति क्या होगी यह बता देता है और इस समय के अनुसार अगर कोई अपने आप को उसी प्रकृति में ढाल देता है तो वह समय उसके लिए सुखकारी हो जाता है। 
  जैसे मेरे एक मित्र की भी ऐसे ही केतु वाली मैचिंग स्थिति बनी थी लेकिन उसका जन्म नक्षत्र पुष्य होने के कारण उसने समय के अनुसार व्यवहार करने के बजाए इसका विरोध किया और उसका यह समय बहुत बुरा बीता।
  इसी प्रकार से अगर कोई पुलिस में नौकरी करता है और बीच में उसकी वृहस्पति की दशा आ जाए और उसका वृहस्पति अच्छा पड़ा हो तो उसकी मुसीबत हो जाती है लेकिन अगर वही व्यक्ति ब्राम्हण का काम या अध्यापक का काम करता हो तो उसकी मौज हो जाती है।
   आप ये समझ लो आप बैट्समैन हो और आपको यह समझना है की सामने से आने वाली बाल कैसी पड़ेगी और अपनी बैटिंग position आपको वैसी ही सेट करनी है। छोटे बच्चे की तरह नहीं कि मैं तो ऐसे चाहता हूं या वैसे चाहता हूं। बाल आपकी मर्जी अनुसार नही पड़ेगी। अगर सफल बैट्समैन बनना है मतलब जिंदगी में सफल होना है तो आपको अपनी बैटिंग तकनीक पर ही ध्यान देना होगा और आने वाली बाल को पहले समझना होगा।
- By Gopal Kapoor

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